जिन्द़गी का मेरे, कुछ हिसाब गड़बड़ हैं, शायद सच कहा उसने, मेरे ख्वाब गड़बड़ हैं। हारे नही हैं हम, हकीकत तुम्हे क्या पता, तुम्हे जीतने की जिद मे, मेरे साज गड़बड़ हैं। जिन्दगी का मेरे, कुछ हिसाब गड़बड़ हैं। दिल हार कर तुमने, शतरंज की बाजीयाँ जीती, ज़रा पूछना खुद से कभी, तेरे खिताब गड़बड़ हैं। जिन्दगी का मेरे, कुछ हिसाब गड़बड़ हैं।