सवेरा भटकना जिनकी आदत है,, कभी वो घर नहीं पाते,, कि गुँगें गीत जिस तरह , कभी भी स्वर नहीं पाते लिखा इतिहास में भगवान से बढकर गुरु होते ,,,,, , गुरू निन्दा जो करते है,, कभी भी तर नहीं पाते ।।। आज गुरू पर लिखने का मन किया लिख दिएँँँँँँँँँँँँ