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मैं पहला व्यक्ति हूं,  जिसने नाम के पीछे  गांव का

मैं पहला व्यक्ति हूं, 
जिसने नाम के पीछे 
गांव का नाम जोड़ा ।
गरीबों के लिये अपना 
खाना पीना तक छोड़ा। 1

इस जहां में कौन किसकी 
परवाह करता है, जनाब
मैंने तो इनके लिए अपना 
ऐश आराम तक छोड़ा।2

मैंने देखा है स्टैंड और स्टेशनों पर 
प्यास और भूख से तड़पते मासूम से 
नैत्र जल भरे चेहरों को। 
मैं व्याकुल सा हो गया था 
जैसे देखा झूठे गिलास पत्तरो को 
ऐसे पी चाट रहे थे वे 
जैसे 56 प्रकार के व्यंजनों को 
अरदास कर रहे थे भगवान से 
हाथ फैला कर मांग रहे थे इंसान से 
कुछ न मिला हाथ तक जोड़ा।3 

फिर देखा उन सफेद मच्छरों को 
उन बेबस और लाचारो के ऊपर चिल्लाते थे 
धमकी देकर भी खून चूस ले जाते थे 
गरीब लोगों को भूख से भिखारी बना दिया 
जब से इन मच्छरों पर दवा छिड़कना बंद किया 
इन्होंने प्लेट क्या गिराई हमारी 
हमें प्लेट से गिरा दिया 
कहते थे साथ लेकर चलेंगे 
ऐसे ले गए अधभर तक छोड़ा।4 

मैंने फिर कहा एक बार पढ़ कर देखो 
वहां खाना भी मिलेगा एक बार सोचो 
जिंदगी बदल जाएगी ऐसा काम करो 
पहले मेहनत कर लो फिर आराम करो 
जितने पहले सोच में जीरो लग रही हैं 
जो इतनी मेहनत के बाद लग जाएंगी
मेहनत करने से सदा खुशियां बहार आएंगी 
सागर का नाम लेना आ जाऊंगा वही 
तुम्हें छोड़ कर जाऊंगा ना कहीं 
तुम्हारे लिए काम काज तक छोड़ा।5

मैंने सोचा शिक्षा का एक संस्थान खोलू 
उसे प्यार से सागर शक्ति शिक्षा सेंटर बोलूं 
नि:शुल्क हो फीस उसमें 
मेहनत लगी हो प्रत्येक की जिसमें 
गुरु की प्रेरणा से भविष्य उज्जवल होगा 
उसमें बच्चा प्रत्येक जाति धर्म मजहब का होगा 
दया मानवता सामाजिकता कण कण में बहती है 
जब ही तो मेरी शक्ति हर जुल्म को सह लेती है 
अब बताओ मैंने कहां तक मोड़ा।6 निर्धनता
मैं पहला व्यक्ति हूं, 
जिसने नाम के पीछे 
गांव का नाम जोड़ा ।
गरीबों के लिये अपना 
खाना पीना तक छोड़ा। 1

इस जहां में कौन किसकी 
परवाह करता है, जनाब
मैंने तो इनके लिए अपना 
ऐश आराम तक छोड़ा।2

मैंने देखा है स्टैंड और स्टेशनों पर 
प्यास और भूख से तड़पते मासूम से 
नैत्र जल भरे चेहरों को। 
मैं व्याकुल सा हो गया था 
जैसे देखा झूठे गिलास पत्तरो को 
ऐसे पी चाट रहे थे वे 
जैसे 56 प्रकार के व्यंजनों को 
अरदास कर रहे थे भगवान से 
हाथ फैला कर मांग रहे थे इंसान से 
कुछ न मिला हाथ तक जोड़ा।3 

फिर देखा उन सफेद मच्छरों को 
उन बेबस और लाचारो के ऊपर चिल्लाते थे 
धमकी देकर भी खून चूस ले जाते थे 
गरीब लोगों को भूख से भिखारी बना दिया 
जब से इन मच्छरों पर दवा छिड़कना बंद किया 
इन्होंने प्लेट क्या गिराई हमारी 
हमें प्लेट से गिरा दिया 
कहते थे साथ लेकर चलेंगे 
ऐसे ले गए अधभर तक छोड़ा।4 

मैंने फिर कहा एक बार पढ़ कर देखो 
वहां खाना भी मिलेगा एक बार सोचो 
जिंदगी बदल जाएगी ऐसा काम करो 
पहले मेहनत कर लो फिर आराम करो 
जितने पहले सोच में जीरो लग रही हैं 
जो इतनी मेहनत के बाद लग जाएंगी
मेहनत करने से सदा खुशियां बहार आएंगी 
सागर का नाम लेना आ जाऊंगा वही 
तुम्हें छोड़ कर जाऊंगा ना कहीं 
तुम्हारे लिए काम काज तक छोड़ा।5

मैंने सोचा शिक्षा का एक संस्थान खोलू 
उसे प्यार से सागर शक्ति शिक्षा सेंटर बोलूं 
नि:शुल्क हो फीस उसमें 
मेहनत लगी हो प्रत्येक की जिसमें 
गुरु की प्रेरणा से भविष्य उज्जवल होगा 
उसमें बच्चा प्रत्येक जाति धर्म मजहब का होगा 
दया मानवता सामाजिकता कण कण में बहती है 
जब ही तो मेरी शक्ति हर जुल्म को सह लेती है 
अब बताओ मैंने कहां तक मोड़ा।6 निर्धनता

निर्धनता #कविता