क्यों थी बेकरारी बेवक्त हर दम मुझे तेरे सिवा कुछ अच्छा नहीं लगता था, क्यों दिल में मिलन की उठती थी टीस, तुम्हारी कमी क्यों मुझे हमेशा खलती थी, क्यों तुम बिन बेचैनी सी रहती थी,क्या प्यार था हमारे बीच, पहली नजर में तुम भाए मुझे, धीरे धीरे करीब आए मेरे, मुझे, मुझसे चोरी कर गए, प्रेमासक्त करने लगे, तेरी नज़र की कशिश खीचें मुझे हर पल तेरी तरफ, उफ्फ!.. यह ताबताक तेरे रूहानी चेहरे की, इस महताब को हिजाब में छुपाओ लो ज़रा। ♥️ Challenge-487 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।