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एक मंज़िल के हम दो राही यूँ बिछड़ गए है। मिले भी तो

एक मंज़िल के हम दो राही
यूँ बिछड़ गए है।
मिले भी तो अब कैसे
दूर इतने जो निकल गए है।।
एक मंज़िल के हम दो राही
यूँ बिछड़ गए है।
मिले भी तो अब कैसे
दूर इतने जो निकल गए है।।