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White मैं ज़िंदगी की कड़ी मसाफ़त तुम्हारी चाहत मिल

White मैं ज़िंदगी की कड़ी मसाफ़त
तुम्हारी चाहत मिले बिना भी मुझे यक़ीं है कि काट लूँगा
मैं ऐसे लोगों को जानता हूँ
जिन्हों ने अपनी तमाम उम्रें
सराब-सायों की जुस्तुजू में यही समझ कर गुज़ार दी हैं
कि चाहतों के ये ख़्वाब-लम्हे
ये फुर्क़तों के अज़ाब-लम्हे
कभी बनेंगे गुलाब-लम्हे

ये लोग वो हैं कि जिन के यादों के कैनवस पर
विसाल-ए-मौसम की एक मुबहम लकीर भी तो नहीं बनी है
प मेरी यादों के हाथ में तो
तुम्हारी पोरों का लम्स अब तक गुलाब बन कर महक रहा है
मुझे यक़ीं है
कि जब भी चाहूँ
तुम्हारे बे-हद हसीन हाथों को थामने का हर एक लम्हा
मिरे ख़यालों के दाएरे से निकल के मुझ को
विसाल-मौसम की ख़ुशबुओं में मुहीत कर दे
मुझे यक़ीं है
मैं ज़िंदगी की ये सब मसाफ़त
कड़ी मसाफ़त
तुम्हारी यादों की ख़ुशबुओं में भी काट सकता हूँ काट लूँगा

©Jashvant
  अब तक गुलाब बन कर महक रहा है  Lalit Saxena Ek Alfaaz Shayri PФФJД ЦDΞSHI Geet Sangeet vineetapanchal
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Jashvant

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अब तक गुलाब बन कर महक रहा है @Lalit Saxena @Ek Alfaaz Shayri @PФФJД ЦDΞSHI Geet Sangeet @vineetapanchal #Life

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