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कोइ चलता पैदल पैरों पे कोइ साइकिल मोटर कार से लाख

कोइ चलता पैदल पैरों पे कोइ साइकिल मोटर कार से
लाख सिकंदर निकल रहे हैं मरघट के बाजार से
कुछ की चमक रोशनी मारे कुछ हैं दाल नमक के मारे
कुछ के सिक्के छनके खनके कुछ के नोट के दिखें नज़ारे
कोई जीत कि ख़ुशी मनाता अपना सबकुछ हार के
जीवन चलता संग सब चलते अपनी अपनी रफ़्तार से! 

जिनगी चंद पहर का रस्ता कोई भूला कोई भटका
कोई निकला बचा बचा के कोई कदम कदम पे अटका
कोई चलता रोते रोते थोड़ा पाकर सबकुछ खोते
कोई चलता बन मस्ताना भूला शूल मूल धन जो थे
कोइ बैठा जान बूझकर कोइ उठता जतन हजार से
जीवन चलता संग सब चलते अपनी अपनी रफ़्तार से! 

वो जो बीत गया न आता आता भी तो तू क्या पाता
गर तू चलता साथ अगर तो थोड़ा बहुत तजुर्बा पाता
वक़्त ही था वो जो था बीता वक़्त ही होगा जो आएगा
कीमत कर निर्मोही इसकी करता तो ये व्यर्थ ना जाता
अब भी जागो उठो चलो तुम अपने मन का वहम उतार के
जीवन चलता संग सब चलते अपनी अपनी रफ़्तार से! #nitinnirmohipoetry
#nojoto
#life
#Hindi
कोइ चलता पैदल पैरों पे कोइ साइकिल मोटर कार से
लाख सिकंदर निकल रहे हैं मरघट के बाजार से
कुछ की चमक रोशनी मारे कुछ हैं दाल नमक के मारे
कुछ के सिक्के छनके खनके कुछ के नोट के दिखें नज़ारे
कोई जीत कि ख़ुशी मनाता अपना सबकुछ हार के
जीवन चलता संग सब चलते अपनी अपनी रफ़्तार से! 

जिनगी चंद पहर का रस्ता कोई भूला कोई भटका
कोई निकला बचा बचा के कोई कदम कदम पे अटका
कोई चलता रोते रोते थोड़ा पाकर सबकुछ खोते
कोई चलता बन मस्ताना भूला शूल मूल धन जो थे
कोइ बैठा जान बूझकर कोइ उठता जतन हजार से
जीवन चलता संग सब चलते अपनी अपनी रफ़्तार से! 

वो जो बीत गया न आता आता भी तो तू क्या पाता
गर तू चलता साथ अगर तो थोड़ा बहुत तजुर्बा पाता
वक़्त ही था वो जो था बीता वक़्त ही होगा जो आएगा
कीमत कर निर्मोही इसकी करता तो ये व्यर्थ ना जाता
अब भी जागो उठो चलो तुम अपने मन का वहम उतार के
जीवन चलता संग सब चलते अपनी अपनी रफ़्तार से! #nitinnirmohipoetry
#nojoto
#life
#Hindi