तुम्हारी यातनाएं और अणिमा तुम्हारी कल्पनाएं और लघिमा तुम्हारी गगन भेदी गूंज गरिमा तुम्हारे बोल भू की दिव्य महिमा तुम्हारी जीभ के पैरों महावर तुम्हारी अस्ति पर दो युग निछावर... -वेद प्रकाश ©VED PRAKASH 73 #शिलालेख