खुद में ही डूबा हुआ कोई मतलबी शराब हूँ मैं... खुद में सही, दुनिया की नज़रों में ख़राब हूँ मैं... आसान शब्दों में उलझी हुई खुली किताब हूँ मैं... सीधे को सही, गलत के लिए टेढा जवाब हूँ मैं... अपनी मंज़िल तक पहुँचने के लिए बेताब हूँ मैं... नाकामयाबी में तपके अब खुद आफ़ताब हूँ मैं... खामियों से ढकी खूबियों की ठहरी तालाब हूँ मैं... निरंतर बहती धार तो कभी उसका शैलाब हूँ मैं...! ©𝑨𝒚𝒖_𝒔𝒉 #DOn't quIT❤️ खुद में ही डूबा हुआ कोई मतलबी शराब हूँ मैं... खुद में सही, दुनिया की नज़रों में ख़राब हूँ मैं... आसान शब्दों में उलझी हुई खुली किताब हूँ मैं... सीधे को सही, गलत के लिए टेढा जवाब हूँ मैं... अपनी मंज़िल तक पहुँचने के लिए बेताब हूँ मैं...