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बेड़ियां कैसी भी हों तोड़ने को जी चाहता है, पिंजरे

बेड़ियां कैसी भी हों तोड़ने को जी चाहता है,
पिंजरे का पंछी मेरा मन उड़ने को चाहता है।
सुख की चादर ओढ़ ली बहुत दुःख में जीने को जी चाहता है,
मेरा मन परिंदा बन आजादी चाहता है।

___Satyprabha💕
             __My Life ✍ #freedom#life#pain
#shayari#thought
😊😊😊✍✍✍
बेड़ियां कैसी भी हों तोड़ने को जी चाहता है,
पिंजरे का पंछी मेरा मन उड़ने को चाहता है।
सुख की चादर ओढ़ ली बहुत दुःख में जीने को जी चाहता है,
मेरा मन परिंदा बन आजादी चाहता है।

___Satyprabha💕
             __My Life ✍ #freedom#life#pain
#shayari#thought
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