तेग़ ए हुस्न चला अपनी अदा से उस सितमग़र ने ना जाने कईयों पर दौर ए सितम ढाये उनमें कई तो उस सितम का शिकार बन इश्क़ के कैदी हो गये और कई हम जैसे उस पल को कलम से कागज़ पे उतार कर शायर कहलाये; #manaan_writings