क्या है किसी का अस्तित्व, कौन जाने दोस्त, चाहे कितना भी माहिर कुम्हार हो, दो पुतले एक समान नहीं होते दोस्त, न ही हम किसी की अच्छाई आंक सकते हैं, न ही किसी कि चालाकी दोस्त, बस नित साँचे में ढल इन्सानियत के, एक साथी का अस्तित्व बना लें दोस्त। । नमस्कार लेखकों!🌻 मई के माह के साथ, हम आपके लिए लेकर आए हैं दैनिक शब्द जिसके अंतर्गत आप collab द्वारा अपने लेखन में उस शब्द का प्रयोग करेंगे। आज का शब्द ~ अस्तित्व नए महीने के नए कार्य पर हाथ आज़माने के लिए शुभकामनाएं!✨