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दूर तलक सुलगती हुई रेत है पानी की गहरी प्यास है



दूर तलक सुलगती हुई रेत है
पानी की गहरी प्यास है
दूर बहता कहीं एक दरिया है
और साहिल मेरे पास है

ये कैसी बेचैनी है
कैसी ये साजिश है
उलझन भी मीठी लगती है
नए मौसम की पहली बारिश है

मेरा मुझमें कुछ बचा नहीं 
सबकुछ नाम तेरे कर आया हूं
बस जाओ मेरी अब रूह में तुम
बस इतनी सी गुज़ारिश है...
©abhishek trehan


 🎀 Challenge-351 #collabwithकोराकाग़ज़

🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है।

🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।

🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 6 पंक्तियों अथवा 40 शब्दों में अपनी रचना लिखिए।


दूर तलक सुलगती हुई रेत है
पानी की गहरी प्यास है
दूर बहता कहीं एक दरिया है
और साहिल मेरे पास है

ये कैसी बेचैनी है
कैसी ये साजिश है
उलझन भी मीठी लगती है
नए मौसम की पहली बारिश है

मेरा मुझमें कुछ बचा नहीं 
सबकुछ नाम तेरे कर आया हूं
बस जाओ मेरी अब रूह में तुम
बस इतनी सी गुज़ारिश है...
©abhishek trehan


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🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 6 पंक्तियों अथवा 40 शब्दों में अपनी रचना लिखिए।

🎀 Challenge-351 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 6 पंक्तियों अथवा 40 शब्दों में अपनी रचना लिखिए। #yqbaba #YourQuoteAndMine #कोराकाग़ज़ #manawoawaratha #yqdiidi #इश्क़कीसाज़िश