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पढ़ने का अधिकार कहाँ था? *"*"*"*"*"*"*"*"*"*"*"*"*"

पढ़ने का अधिकार कहाँ था?
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जीवन में जिनसे मिला, ज्ञान का है प्रकाश
जिनकी चमक से दमक उठा, नीला ये आकाश।
वैदिक समाज ने मानव को, ही मानव में बाँटा था
तुमने समाज के उस माहुर को,मानवता से छांटा था।
पढ़ने का अधिकार कहाँ था,तब समाज में लोगों को
बाँध रखा था धर्म गांठ से,इस समाज में लोगों को।
आडंबर,पाखंडों को,कभी न तुमने मान दिया
मानव की सत्ता परम्,मानव का सम्मान किया।
मनुज शत्रु है आडम्बर सब,प्रभु तुमने है सिद्ध किया
कोई देव नहीं इस जहाँन में,देकर प्रमाण है सिद्ध किया।
तेरे ज्ञान को जिसने माना, वो महान कहलाया है
तेरा मार्ग अपना कर के,अशोक महान बन पाया है।
तेरी मानवता का जिसने भी है मान किया
इस दुनियां में लोगों ने उसका है सम्मान किया।
कठिन परिश्रम करके,तुमने तत्वों को जाना था
मानव ही है श्रेष्ठ धरा पर, ये तुमने पहचाना था।
दुनियां भर में बुद्ध नाम से,देश को है पहचान मिली
तर्क,ज्ञान, विज्ञान को जग में,तब से है पहचान मिली।
बद्ध तेरे अरमानों की, लगी जहाँ को आस है
इसीलिए तो दर्शन तेरा, सारे जग से खास है।
बन जा तू रहबर मेरा,बस इतना 'अरमान' है
 देश का मैं हूँ वासी,मुझे इसका अभिमान है।
*"*"*"*"*"*"*
अमर'अरमान'
बघौली, हरदोई
उत्तर प्रदेश 
7651997046

©Amar'Arman' Hardoi up पढ़ने का अधिकार कहाँ था

#Buddha_purnima
पढ़ने का अधिकार कहाँ था?
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जीवन में जिनसे मिला, ज्ञान का है प्रकाश
जिनकी चमक से दमक उठा, नीला ये आकाश।
वैदिक समाज ने मानव को, ही मानव में बाँटा था
तुमने समाज के उस माहुर को,मानवता से छांटा था।
पढ़ने का अधिकार कहाँ था,तब समाज में लोगों को
बाँध रखा था धर्म गांठ से,इस समाज में लोगों को।
आडंबर,पाखंडों को,कभी न तुमने मान दिया
मानव की सत्ता परम्,मानव का सम्मान किया।
मनुज शत्रु है आडम्बर सब,प्रभु तुमने है सिद्ध किया
कोई देव नहीं इस जहाँन में,देकर प्रमाण है सिद्ध किया।
तेरे ज्ञान को जिसने माना, वो महान कहलाया है
तेरा मार्ग अपना कर के,अशोक महान बन पाया है।
तेरी मानवता का जिसने भी है मान किया
इस दुनियां में लोगों ने उसका है सम्मान किया।
कठिन परिश्रम करके,तुमने तत्वों को जाना था
मानव ही है श्रेष्ठ धरा पर, ये तुमने पहचाना था।
दुनियां भर में बुद्ध नाम से,देश को है पहचान मिली
तर्क,ज्ञान, विज्ञान को जग में,तब से है पहचान मिली।
बद्ध तेरे अरमानों की, लगी जहाँ को आस है
इसीलिए तो दर्शन तेरा, सारे जग से खास है।
बन जा तू रहबर मेरा,बस इतना 'अरमान' है
 देश का मैं हूँ वासी,मुझे इसका अभिमान है।
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अमर'अरमान'
बघौली, हरदोई
उत्तर प्रदेश 
7651997046

©Amar'Arman' Hardoi up पढ़ने का अधिकार कहाँ था

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