क्यों होंठ तेरे "खामोश है आओ इन्हें "अल्फाज़ देग्यूँ तेरे "तन्हा" लम्हों को आओ एक "मुलाक़ात" दे दूँ दर्द भरी तेरी "अमावस" को आओ "पूनम" की रात दे दूँ मैं खुद से हूँ भले "परेशाँ" तुझे "खुश" रहने का अंदाज दे दूँ तू "कल" न जाने कहाँ हो आओ तुम्हे "अपना" मै आज दे दूँ ©S.RaiComefromheart #ranveerdeepika