आहिस्ता आहिस्ता रोज़ मुस्कुरा कर उकता गया हूँ यार मैं खुद को आसान कर हिज्र के बाद भी यादें काफ़ी नहीं कहता हूँ शेर आँखों को ख़ूँ कर उसको गलतफहमी है इक बात पर देखता हूँ ख़ामोशी आजमा कर मुझसे होती नहीं गुफ्तगू अब मैंने सिल रखा है लब लफ्ज़ों को कहीं दफना कर मसान तक जा कर जी उठता हूँ लोहा मानता हूँ मौत को निराश कर एक दफा और सिर्फ इश्क करनी है मुझे देता हूँ फिर इक मौका खुद को तबाह कर । #kunalpoetry #gajal_ek_sher #yqdidi #yqbaba #kunu #restzone #myfeelings