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आहिस्ता आहिस्ता रोज़ मुस्कुरा कर उकता गया हूँ यार

आहिस्ता आहिस्ता रोज़ मुस्कुरा कर 
उकता गया हूँ यार मैं खुद को आसान कर 

हिज्र के बाद भी यादें काफ़ी नहीं 
कहता हूँ शेर आँखों को ख़ूँ कर

उसको गलतफहमी है इक बात पर 
देखता हूँ ख़ामोशी आजमा कर

मुझसे होती नहीं गुफ्तगू अब 
मैंने सिल रखा है लब लफ्ज़ों को कहीं दफना कर 

मसान तक जा कर जी उठता हूँ 
लोहा मानता हूँ मौत को निराश कर 

एक दफा और सिर्फ इश्क करनी है मुझे 
देता हूँ फिर इक मौका खुद को तबाह कर । #kunalpoetry 
#gajal_ek_sher 
#yqdidi 
#yqbaba 
#kunu 
#restzone 
#myfeelings
आहिस्ता आहिस्ता रोज़ मुस्कुरा कर 
उकता गया हूँ यार मैं खुद को आसान कर 

हिज्र के बाद भी यादें काफ़ी नहीं 
कहता हूँ शेर आँखों को ख़ूँ कर

उसको गलतफहमी है इक बात पर 
देखता हूँ ख़ामोशी आजमा कर

मुझसे होती नहीं गुफ्तगू अब 
मैंने सिल रखा है लब लफ्ज़ों को कहीं दफना कर 

मसान तक जा कर जी उठता हूँ 
लोहा मानता हूँ मौत को निराश कर 

एक दफा और सिर्फ इश्क करनी है मुझे 
देता हूँ फिर इक मौका खुद को तबाह कर । #kunalpoetry 
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#yqbaba 
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#restzone 
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kunalkarn5063

Author kunal

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