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दोहावली कवि भाव विहिन समुद्र जल लागे, नीर अथाह पर

दोहावली
कवि भाव विहिन समुद्र जल लागे,
नीर अथाह पर प्यास नाहि बुझावे।।

तरु   नाहि   उधम - नीच  लगावे,
जेहू   तरु   काट   मरू है बनावे।।

उच्च- नीच का भाव भयो विकराल,
पूत कपूत करे  जनक  से  सवाल।।

काहे पिता - पुत्र में  होत है बवाल,
देख प्रभु धरा पर लावे  हैं भुजाल।। 

पुत्र मोह बंधन में बंधी हुई हैं माता,
जान पुत्र तभे फायदा  है उठाता।। #मेरा new dohawali...
दोहावली
कवि भाव विहिन समुद्र जल लागे,
नीर अथाह पर प्यास नाहि बुझावे।।

तरु   नाहि   उधम - नीच  लगावे,
जेहू   तरु   काट   मरू है बनावे।।

उच्च- नीच का भाव भयो विकराल,
पूत कपूत करे  जनक  से  सवाल।।

काहे पिता - पुत्र में  होत है बवाल,
देख प्रभु धरा पर लावे  हैं भुजाल।। 

पुत्र मोह बंधन में बंधी हुई हैं माता,
जान पुत्र तभे फायदा  है उठाता।। #मेरा new dohawali...
kundanspoetry7099

KUNDAN KUNJ

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