अधूरा सा लगता है मुझको हर दिन, कैसे जियूँगी मैं, बता अब तेरे बिन। तू तो आता नहीं, तेरी यादें सताती हैं, मैं भूल नहीं पाती, वो सारे पलछिन। दिन तो गुज़रता है आँसुओं के साये में। रातें गुज़र रही हैं, बस तारे गिन-गिन। अधूरे इश्क़ की दास्ताँ, सब बयाँ करती है। अब तुम हो गए हो, जाने कहाँ के साकिन। तुम थे तो हरपल था सुहाना ख़ुशगवार। बिना तेरे कुछ भी नहीं, यहाँ अब हसीन। मेरी परेशानियों का सबब मैं खुद हूँ सनम। तुम नहीं थे इसमें, कभी भी शामिल। 🌷सुप्रभात🌷 👉🏻 प्रतियोगिता- 257 🙂आज की ग़ज़ल प्रतियोगिता के लिए हमारा शब्द है 👉🏻🌹"तेरे बिन"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य है I कृप्या