अपनी छत अपना मोहल्ला अपना शहर याद आता है, सावन में बरसती हर बूंदों में अपना दर याद आता है। कुछ दूर का ही है सफ़र रास्ते भी साथ छोड़ देंगे एक दिन, साथ चले और छूट गए वो साथी अक्सर याद आता है। फ़क़त अकेला मैं ही नही हूँ जो वापस लौटना चाहता है, उड़ान ख़त्म होते ही परिंदों को अपना घर याद आता है। ♥️ Challenge-657 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।