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Kavi Vishal Mourya June 12, 2016 · घूम रहे हैँ आज

Kavi Vishal Mourya
June 12, 2016 · 
घूम रहे हैँ आजकल , गली गली मे चोर !
खड़ा मुसाफिर सोचता , जाए अब किस ओर !!
भावशून्य कविता हुई , गीत हुए अनमोल ,
शब्द बिके बाजार मेँ कौड़ी के मोल ।।
जब पैसोँ के मोल मेँ बिकता हैँ कानून ,
खंजर बिना गरीब का , हो जाता खून ।।।
पद पैसे की आड़ मेँ , बिकने लगा विधान ,
सरेआम अब घूमते , अपराधी शैतान ।।।।
अपराधी अब छूटते तोड़े सभी विधान ,
निर्दोषी हवालात मेँ मेरे संविधान ।।।। #लोकतंत्र #भारत #सरकार #संविधान
#विडंबना #अत्याचार #भ्रष्टाचार
Kavi Vishal Mourya
June 12, 2016 · 
घूम रहे हैँ आजकल , गली गली मे चोर !
खड़ा मुसाफिर सोचता , जाए अब किस ओर !!
भावशून्य कविता हुई , गीत हुए अनमोल ,
शब्द बिके बाजार मेँ कौड़ी के मोल ।।
जब पैसोँ के मोल मेँ बिकता हैँ कानून ,
खंजर बिना गरीब का , हो जाता खून ।।।
पद पैसे की आड़ मेँ , बिकने लगा विधान ,
सरेआम अब घूमते , अपराधी शैतान ।।।।
अपराधी अब छूटते तोड़े सभी विधान ,
निर्दोषी हवालात मेँ मेरे संविधान ।।।। #लोकतंत्र #भारत #सरकार #संविधान
#विडंबना #अत्याचार #भ्रष्टाचार