विरह में तपती विरहिणी मै भी फिरू होके विरक्त मार्तंड तेज नतमस्तक प्रेम अग्नि सम्मुख ये कैसा जोग तेरा इलाही इक रूह कर दी दो भागों मे विभक्त !! तुमसे ही रूष्ट तुम में ही आसक्त प्राण निकल रहे बूँद-बूँद रिस मिलन करा दे मेरे मालिक कहीं इस तड़पन मे दम न तोड़ दे तेरे भक्त !! मार्तण्डी-सूर्य #love #pain #poetry #separation #विरह #surajaaftabi #yqdidi #yqhindi