मृग-तृष्णा सा मोह लगे है तेरा दिखे है खुबसूरत,मगर पास नही। पास जाउँ तो मिट सा जाए वापस लौटने लगूँ तो फिर दिख जाए। ओझल हुए नयनों के लिए यह बड़ी सुन्दर दृष्टि है, पर इनको कौन समझाए! इस मृग-तृष्णा के प्रित में कहाँ तृप्ति है।। #हृदयनुभूति❤