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नज़र-ए-इनायत मांगती हैं तेरी मेरी बिंदियाँ, मेरे झु

नज़र-ए-इनायत मांगती हैं तेरी मेरी बिंदियाँ, मेरे झुमके,
कंगन बेसुरे बोल बोले, लाली भी कुछ कम है गालों की।— % & ♥️ आइए लिखते हैं दो मिसरे प्यार के :)

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) 

♥️ केवल 2 पंक्ति लिखनी हैं और वो भी प्यार की।

♥️ कृपया स्वरचित एवं मौलिक पंक्तियाँ ही लिखें।
नज़र-ए-इनायत मांगती हैं तेरी मेरी बिंदियाँ, मेरे झुमके,
कंगन बेसुरे बोल बोले, लाली भी कुछ कम है गालों की।— % & ♥️ आइए लिखते हैं दो मिसरे प्यार के :)

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nazarbiswas3269

Nazar Biswas

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