ना भगवा, ना सफेद, ना हरा देखा, जब देखा तिरंगा लहूं से भरा देखा। आजादी के वो किताबी नायक भूल गए, आजाद पथ जब शहादत से भरा देखा। सियासत के सभी दावें बस झूठे ही तो है, सत्ता ने तो बस अपनी जेबों को हरा देखा। सिसकियां सर जमीं की अब रुकती नहीं, जब से किसान को उसी जमीं में मरा देखा। मिल गया जवाब क्यों कानून की आंखें मूंदी हुई जब न्याय का तराजू यहां भ्रष्टाचार में तरा देखा। विश्वास संविधान से उठ गया 'तरूण' उस रोज, जब एक बेटी को तिरंगे नीचे डरा देखा। एक #सत्य जो भारतीय संविधान, व्यवस्था, और सियासत को दर्शाता है। यदि मेरा सत्य मुझे बागी बनाता है तो मैं बागी हूं, और #कलम ही मेरा #हथियार है। #hindiwriters #corruption #truth #politics #constitution