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कुम्बा-ए-मशरिक़ से फिर रंजिश निकाली है, वाकई दिल्

कुम्बा-ए-मशरिक़ से फिर रंजिश निकाली है, 
वाकई दिल्ली बड़ी दिल वाली है.
(check caption)  तितली के परों को कुचल, 
फिर उसकी इज़्ज़त उतारी है,
वाकई दिल्ली बड़ी दिल वाली है.

अनसुना कर उसकी गुहार, 
फिर मानवता को लात मारी है,
वाकई दिल्ली बड़ी दिल वाली है. 
कुम्बा-ए-मशरिक़ से फिर रंजिश निकाली है, 
वाकई दिल्ली बड़ी दिल वाली है.
(check caption)  तितली के परों को कुचल, 
फिर उसकी इज़्ज़त उतारी है,
वाकई दिल्ली बड़ी दिल वाली है.

अनसुना कर उसकी गुहार, 
फिर मानवता को लात मारी है,
वाकई दिल्ली बड़ी दिल वाली है. 
nojotouser1472989357

शुभी

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