इस बार अपनों को भी ,कुछ जता कर आया मैं l की कितने अनमोल है वो मेरे लिए ,ये बताकर आया मैं l छोड़कर अपना अहम् , मिटा कर हर शिकबा गिला l इस बार हर एक शख्स को, गले से लगाकर आया मैं l शायद राह मेरी ही देख रहा था ,दर्द मेरी माँ के सिर का l कुछ महीनो की उसपर भी दवा ,फिरसे लगाकर आया मैं l कुछ कमजोर से पड़ने लगे हैं ,वो बुढ़ापे की धूप मे l भरोसा उन कंधो को इस बार ,फिर अपना दिलाकर आया मैl हम बेवफाई कर जाते ,शायद उनकी याद से , कुछ आंसू उनके नाम के इसलिए, फिर गिराकर आया मैं l कुछ धुंधला सा हो गया था ,जो शहर की धूल में l इस बार अपने आपको ,वो पूरा गांव दिखाकर आया मैं l एहसास ,कुछ अनकहे पूरा गांव दिखाकर आया मैं .. #nojoto