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हर कदम पर दुनियावालों ने, गिराया है मुझे। गिर गिरक

हर कदम पर दुनियावालों ने, गिराया है मुझे।
गिर गिरकर मगर, उठने की कोशिश जारी है।
कभी व्यंग्य वाणों ने, कभी लहजों ने लोगों के
आंसू से नवाजा मुझे, ज़ख्मों के दिए हैं तोहफे, 
खिल-खिलाने की मगर, मेरी आदत वही है।
जब जब भी छूआ मैंने कामयाबी का शिखर
मेरे अपने ही मुझे खिंच कर, ले आए ज़मीं पर 
परवाज़ भरने का मगर, मेरा हौसला वही है।
इंद्रधनुषी रंग भरना है, सादासादा जीवन मे
चुभोनी है अपने हुनर की सुई सबकी नजर में
कुछ कर दिखाने की, मेरी जीद और बढ़ गई है।

©Nilam Agarwalla
  #गिरकर