क्या कमी है तुम में जो रोज तुम इतना सँवरती हो, बार बार आइने के आगे जाकर खुद को निहारती हो। अगर ये सिंगार मेरे लिए है तो बेशक इतना परेशान ना हुआ करो, मुझे तुम बिना सजे सँवरे ही बड़ी अच्छी लगती हो। सभी लेखक-लेखिका को 🥳 प्यार भरा नमस्कार 🌱🙏 ✍️ करें आपकी सहेली के के साथ Collab अपने बहुमूल्य विचारों को अपनी लेखनी द्वारा व्यक्त करें हमारे साथ