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White कितनी प्यारी कितनी सुन्दर कितनी अजमल वो आँखे

White कितनी प्यारी कितनी सुन्दर कितनी अजमल वो आँखें
देखे  जो  भी  कर  देती  हैं  उस  को  घायल वो आँखें 

दिल  में  पसरे  सन्नाटे  को  बाँध  के  अपने  पोरों  से 
बन के धड़कन  छम-छम करती जैसे पायल वो आँखें 

शाम   सवेरे   डोले  ऐसे   मन   के   वीराँ   आँगन  में 
दूर  गगन   में  गोया  कोई  उड़ता  झाँकल  वो  आँखें

बचने  को  मुश्ताक़  जहां से मस्त रुपहली  क़ामत  पे 
शर्म  हया  का  पैराहन या  कह लो आँचल  वो आँखें 

उन की शोख़-निगाही के अफ़्सूँ का भी है क्या कहना 
आलम  सारा  कर  दे  आबी  बरखा, बादल वो आँखें 

तीर-ए-मिज़्गाँ ऐसे कितने अहल-ए-दिल नख़चीर हुए 
कितने बिखरे कितने तड़पे कलवल कलवल वो आँखें

©Parastish अजमल- रूपवान,अत्यधिक सुंदर
गोया - मानो, जैसे । झाँकल- परिंदों का झुंड
मुश्ताक़ - शौक रखने वाला, अभिलाषी
रुपहली - चाँदी जैसी । क़ामत - शरीर 
पैराहन - चोला, पोशाक। अफ़्सूँ- जादू 
आबी - पानी का बना हुआ। मिज़्गाँ - पलकें 
नख़चीर - शिकार । कलवल - मुसीबत, आपदा, बला
#ghazal #sher  #Shayari #parastish #Poetry #lovepoetry
White कितनी प्यारी कितनी सुन्दर कितनी अजमल वो आँखें
देखे  जो  भी  कर  देती  हैं  उस  को  घायल वो आँखें 

दिल  में  पसरे  सन्नाटे  को  बाँध  के  अपने  पोरों  से 
बन के धड़कन  छम-छम करती जैसे पायल वो आँखें 

शाम   सवेरे   डोले  ऐसे   मन   के   वीराँ   आँगन  में 
दूर  गगन   में  गोया  कोई  उड़ता  झाँकल  वो  आँखें

बचने  को  मुश्ताक़  जहां से मस्त रुपहली  क़ामत  पे 
शर्म  हया  का  पैराहन या  कह लो आँचल  वो आँखें 

उन की शोख़-निगाही के अफ़्सूँ का भी है क्या कहना 
आलम  सारा  कर  दे  आबी  बरखा, बादल वो आँखें 

तीर-ए-मिज़्गाँ ऐसे कितने अहल-ए-दिल नख़चीर हुए 
कितने बिखरे कितने तड़पे कलवल कलवल वो आँखें

©Parastish अजमल- रूपवान,अत्यधिक सुंदर
गोया - मानो, जैसे । झाँकल- परिंदों का झुंड
मुश्ताक़ - शौक रखने वाला, अभिलाषी
रुपहली - चाँदी जैसी । क़ामत - शरीर 
पैराहन - चोला, पोशाक। अफ़्सूँ- जादू 
आबी - पानी का बना हुआ। मिज़्गाँ - पलकें 
नख़चीर - शिकार । कलवल - मुसीबत, आपदा, बला
#ghazal #sher  #Shayari #parastish #Poetry #lovepoetry
pooja7092330500628

Parastish

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