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क्यूं दर्द देता है खुद को खामोश रहकर तू यूँही द


क्यूं दर्द देता है खुद को 
खामोश रहकर तू यूँही 
दिलों के धड़कनों से दूर 
भागता-फिरता है कहाँ 
मैं सुकून हूँ तेरा मान ले
गले लगाकर देख तू 
मैं नाराज़ नहीं हूँ तुझसे 
न तू नाराज़ हो खुद से 
हम आईना हैं एक दूसरे के 
कोई फर्क नहीं तुझमें-मुझमें  


 खामोशियां

क्यूं दर्द देता है खुद को 
खामोश रहकर तू यूँही 
दिलों के धड़कनों से दूर 
भागता-फिरता है कहाँ 
मैं सुकून हूँ तेरा मान ले
गले लगाकर देख तू 
मैं नाराज़ नहीं हूँ तुझसे 
न तू नाराज़ हो खुद से 
हम आईना हैं एक दूसरे के 
कोई फर्क नहीं तुझमें-मुझमें  


 खामोशियां