हम चले आये बस चले आये शहर गॉव रोकता रहा पुकारता रहा घर नाजुक से दिल पर रख के पत्थर ना आते तो कैसे होता गुजर बसर शहर नहीं बुलाता नहीं भेजता कोई घर जरूरते भेजती दिल हर बार कहता अभी ठहर... ✍️✍️✍️ ©बादल सिंह 'कलमगार' पुकारता रहा घर #badalsinghkalamgar #Life #Hindi कवि आलोक मिश्र "दीपक" मोटिवेशनल कोट्स हिंदी लव कोट्स मोटिवेशनल कोट्स