इंसान और मै मन्दिर , मस्जिद नहीं देखता हूं उस में बेठा भगवान देखता हूं हिन्दू, मुस्लिम नहीं देखताहू इंसान में इंसान देखता हूं हैरान हूं मै यह देखकर लोग पूछते है मेरा धर्म कोनसा है कहता हूं मै तो हर धर्म में महान हिन्दुस्तान देखता हूं इंसान में इंसान देखता हू इबादत हम रब की भी करते है यह मेरा खुदा देखता है ये दुनियां नबी ने चलाई है या राम ने बनाई है में तो हर मस्जिद में राम हर मंदिर में रहीम देखता हूं इंसान में इंसान देखता हूं ईद को ईद मुबारक कह सकूं इसलिए पहले चांद देखता हूं मिलता रहे नूर सबको खुदा का इसलिए दीपक अधिक जलाता हूं होली पर शरीर पर लगा का रंग नहीं रंगों से रंगीन हुआ ,मन देखता हूं लिख सके ईद सबको मुबारक हर त्यौहार की से सके बधाई ऐसा मैं शिवराज कलम देखता हूं इंसान में इंसान देखता हूं शिवराज खटीक इंसान और मै। सभी को ईद मुबारक