Nojoto: Largest Storytelling Platform

शहरों की राहों से गांव के वास्ते, हुजूम निकल पड़े,

शहरों की राहों से गांव के वास्ते, हुजूम निकल पड़े,
भूख की मार से,माली हालात से गरीब बिलख पड़े।

छूट गए काम धंधे,शहर में न घर उनके पैर उठ पड़े,
शहर में खैर न खुद को समझ के गैर,कदम उठ पड़े।

कुलबुलाने लगे थे पेट उनके,खाली हो गई थी थाली,
छोड़कर शहर को लोग पकड़ने लगे राहें गांव वाली।

वक्त की पुकार को अनसुना कर गांव को बढ़ने लगे,
महामारी के डर से, भूख के भय से याद आ गए सगे।

जान की परवाह कर बगैर, हुजूम में हूजूम मिल गए,
महामारी के सोर में,भाड़े के घर से गांव याद आ गए।

आमदानी कुछ नही,रहने को घर नही राहें पकड़ ली,
बसें ट्रेन थम गई सूनी सड़कों पे जिंदगियां चल पड़ी। #हुजूम चल पड़े
शहरों की राहों से गांव के वास्ते, हुजूम निकल पड़े,
भूख की मार से,माली हालात से गरीब बिलख पड़े।

छूट गए काम धंधे,शहर में न घर उनके पैर उठ पड़े,
शहर में खैर न खुद को समझ के गैर,कदम उठ पड़े।

कुलबुलाने लगे थे पेट उनके,खाली हो गई थी थाली,
छोड़कर शहर को लोग पकड़ने लगे राहें गांव वाली।

वक्त की पुकार को अनसुना कर गांव को बढ़ने लगे,
महामारी के डर से, भूख के भय से याद आ गए सगे।

जान की परवाह कर बगैर, हुजूम में हूजूम मिल गए,
महामारी के सोर में,भाड़े के घर से गांव याद आ गए।

आमदानी कुछ नही,रहने को घर नही राहें पकड़ ली,
बसें ट्रेन थम गई सूनी सड़कों पे जिंदगियां चल पड़ी। #हुजूम चल पड़े
jagdishprasadlod3535

J P Lodhi.

Silver Star
Growing Creator
streak icon127