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दोहा  दोस पराए देखि करि,चला हसन्त हसन्त, अपने या

दोहा

 दोस पराए देखि करि,चला हसन्त हसन्त,

अपने याद न आवई, जिनका आदि न अंत

अर्थ

इंसान की फितरत कुछ ऐसी है कि दूसरों के अंदर की बुराइयों को देखकर उनके दोषों पर हँसता है, व्यंग करता है लेकिन अपने दोषों पर कभी नजर नहीं जाती जिसका ना कोई आदि है न अंत।
॥मेरे राम॥

©Himanshu Tomar #मेरे_राम #कबीर #खुद #स्वयं #निन्दा #अन्त #मन #मेरा_मन #दोहा
#humantouch
दोहा

 दोस पराए देखि करि,चला हसन्त हसन्त,

अपने याद न आवई, जिनका आदि न अंत

अर्थ

इंसान की फितरत कुछ ऐसी है कि दूसरों के अंदर की बुराइयों को देखकर उनके दोषों पर हँसता है, व्यंग करता है लेकिन अपने दोषों पर कभी नजर नहीं जाती जिसका ना कोई आदि है न अंत।
॥मेरे राम॥

©Himanshu Tomar #मेरे_राम #कबीर #खुद #स्वयं #निन्दा #अन्त #मन #मेरा_मन #दोहा
#humantouch