मेरी पहचान कभी नन्ही कलि,तो कभी रोन्दु कही जाती कभी पैसे से तो, कभी प्यार में छली जाती किसी की आंखों की तारा हूं तों किसी की आंखों की काटा कही जाती मस्त मौला, तों घमंडी कही जाती किसी की गुरुर तों किसी की सिर झुकने का कारण कही जाती किसी के लिए जोड़ने वाली दिखती तों किसी को बेवफा दिखाई देती जितना बार जिसने देखा एक नया नाम दे ही दिया मस्त मौला थी, खामोशी का चादर ओढ़े चली पड़ी हूं खुद की पहचान करने चली पड़ी हूं... ©Anku Sharma खुद की तलाश करने चली पड़ी हूं....❤️❣️❤️ #PoetInYou