मैं नींदों से तो सारी रात जागता हूँ हर रात जागता हूँ, पर मैं ख़यालों से कब जागूँगा आलस्य से कब जागूँगा इन बेबकूफियों से कब जागूँगा अपनी कमजोरियों से कब जागूँगा मैं अपने अचेतन से कब जागूँगा और अगर जल्द न जागा न तो रात में जाग जाग कर पागल जरूर हो जायूँगा