White गुप्तगु चाहतों की यूँ ही चल रही है उल्फ़त हमारी देख दुनिया जल रही है बंदीसे लाख लगा ले " जालिम " जमाने वाले कुदरत हमें दो जिस्म एक जाँ बनाने वाले ©संजय जालिम " आज़मगढी" # # एक जाँ ##