अदब की राह चल कर वो मुकाम हासिल न कर सका मैं कांटों पे चल कर भी मुलाकत कर न सका कुछ कमी जरूर होगी मुझमें जो महसूस न कर सका बदनसीब मैं इतना ठोकरें खाकर कह न सका सच तो ये मैंने याद किया है हर रोज दिल से अफसोस ये जिस तरह तुझे चाहा था कभी कह न सका दर्द अपना छुपा के बहुत गलत किया है मैंने बिना तेरे गुज़ारा किया कैसे आज तक कभी कह न सका गुमान होता है हमें अक्सर तेरे आने का सितम ये रस्म ए राह मुलाकात होने पर अर्ज़ कभी कर न सका 🙏मेरी स्वरचित गज़ल दास्तां ए मोहब्बत🙏 ©Prem Narayan Shrivastava #मोहब्बत_एक_दर्द