परबत जैसे नहीं बड़े हम, लेकिन सीना तान खड़े हम। जीने के लालच में मानो, मौत से हर इक सांस लड़े हम। सावन के मेघों के जैसे, रफ्ता-रफ्ता रोज झड़े हम। रोज का मिलना भी क्या मिलना, तन्हा बिस्तर बीच पड़े हम। चलते-चलते जीवन सिमटा, मंजिल से पर दूर खड़े हम। ‘तेज’ धूप में पलकें झुलसीं, सांसें उखड़ीं मौन पड़े हम। #NojotoQuote #nojoto#kavita#peot#hindi#hindinojoto#love#followers #my#femly#Ahmadhussain