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ताउम्र इस जिंदगी ने बाकमाल साथ दिया, लड़खड़ाए जब मेर

ताउम्र इस जिंदगी ने बाकमाल साथ दिया,
लड़खड़ाए जब मेरे कदम तो थाम लिया,
गिरने लगी तो सहारा बन सम्भाल लिया,
हर संघर्ष में मेरा बेहिसाब तूने साथ दिया,

आ अब अंतिम पड़ाव पर,रूठने सी लगी हैं जिंदगी,
क्योंकि मृगकस्तूरी मन की ख़त्म न होती तिश्नगी।
 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏

💫Collab with रचना का सार..📖

🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों  को  प्रतियोगिता:-52 में स्वागत करता है..🙏🙏

*आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।
ताउम्र इस जिंदगी ने बाकमाल साथ दिया,
लड़खड़ाए जब मेरे कदम तो थाम लिया,
गिरने लगी तो सहारा बन सम्भाल लिया,
हर संघर्ष में मेरा बेहिसाब तूने साथ दिया,

आ अब अंतिम पड़ाव पर,रूठने सी लगी हैं जिंदगी,
क्योंकि मृगकस्तूरी मन की ख़त्म न होती तिश्नगी।
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