इतना कुछ देख कर, झेल कर, खो कर भी, कुछ नहीं सीखा तो आखिर कब। हजारों की भीड़ में दब कर, घुट कर, सहम कर भी, कभी खुद से बात करना नहीं सीखा तो आखिर कब। मंज़िल तक पहुंच, हर बार, आखिरी रेखा से पहले ही हार जाने का, कभी बैठ कर कारण ढूंढा ही नहीं तो आखिर कब। #yqbaba #yqdidi #ywrittings #yqmidnighthoughts #yqdiary #yqquotes #yqhindi