किसी को इतना भी न तड़पाओ की वो तुम्हारे लिए तड़पना छोड़ दे। क्या पता, किस बेरुखी से हारकर वो ज़िन्दगी जीना ही छोड़ दे। हाँ, माना, खुश होकर अपने ख्वाबों को जीना जायज़ है। क्या पता, तुम्हारी इस तल्लीनगी में , वो इस अकेलेपन में, ख्वाब देखना ही छोड़ दे। हाँ, माना, आगे की छोड़, आज में, जीना ज़रूरी है। क्या पता, तुम्हारे लिए आज में ढलते-ढलते, खुद की उम्मीदों का गला घोंटते-घोंटते, इस घुटन में, वो आगे कदम बढ़ाना ही छोड़ दे। हाँ, माना, सबकुछ पहले सा हो जाए- ये मुमकिन नहीं रो पड़ता हूँ बातों के बस चंद लम्हों के लिए, लेकिन पहले जैसी बातें हो, अब वैसा कोई दिन नहीं। क्या पता, तेरे इस रूखेपन से, ये आँसू बेहना ही छोड़ दें। हाँ, माना, तकलीफ़ बेइंतहा होती है , फिर भी क्यों बेइंतहा मुहब्बत होती है? क्यों रहती है हर वक़्त ये आशा कि - तुझे ढूँढ के, तुझे थाम के, तुझे रोक के, रही जो सारी दूरियां,हुई जो सारी गलतियां उन्हें बस खुद में ही समेट ले। लेकिन क्या पता, तेरी इस तलाश में, आशाहीन,खुद को ही वो खो न दे। किसी को इतना भी न तड़पाओ की वो तुम्हारे लिए तड़पना छोड़ दे। क्या पता, किस बेरुखी से हारकर वो ज़िन्दगी जीना ही छोड़ दे। ये प्यार बड़ा ही पेचीदा है, किसी के लिए बीमारी तो किसी के लिए दवा है। #love #hindipoetry #yqdidi #tadap #zindagi