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राजा के सबका साथ सबकि विकास का हश्र आज हमने फिर दे

राजा के सबका साथ सबकि विकास का हश्र आज हमने
फिर देखा । वीरान पड़ी थी वो सड़के सनुसान पडी वो 
रहीम के घर की गली वो बरगद की 
पेड जहाँ हमने गुजारी थी बचपन 
जहाँ ईद की मिठास घुली थी
और दीवाली की जशन ।।
कुछ भी तो नही था पुराने जैसा कुछ झंडे थे बस
हवा मे ऐसे ईठला रहे थे जैसे कह रहे थे कि तेरे तिंरगा मैं भगवा भारी हूँ तेरे इंसानियत पर मैं नफरत भारी हूं तेरे हिन्दू मुस्लिम भाईचारे पर मैं हिन्दूत्व भारी हूँ तेरे दीन ए ईलाही पर मैं रामत्व भारी हूँ तेरे चुने हुए सरकार पर मैं एक संगठन भारी हूँ ।। अब भी कुछ खून के छीटे़ थे जो शायद कुछ अनकहे सवाल छोड़ गये थे ............................. Desh Mera badal Raha Hai Shyad ab ache din aa Raha hai
राजा के सबका साथ सबकि विकास का हश्र आज हमने
फिर देखा । वीरान पड़ी थी वो सड़के सनुसान पडी वो 
रहीम के घर की गली वो बरगद की 
पेड जहाँ हमने गुजारी थी बचपन 
जहाँ ईद की मिठास घुली थी
और दीवाली की जशन ।।
कुछ भी तो नही था पुराने जैसा कुछ झंडे थे बस
हवा मे ऐसे ईठला रहे थे जैसे कह रहे थे कि तेरे तिंरगा मैं भगवा भारी हूँ तेरे इंसानियत पर मैं नफरत भारी हूं तेरे हिन्दू मुस्लिम भाईचारे पर मैं हिन्दूत्व भारी हूँ तेरे दीन ए ईलाही पर मैं रामत्व भारी हूँ तेरे चुने हुए सरकार पर मैं एक संगठन भारी हूँ ।। अब भी कुछ खून के छीटे़ थे जो शायद कुछ अनकहे सवाल छोड़ गये थे ............................. Desh Mera badal Raha Hai Shyad ab ache din aa Raha hai