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एक बार तो सोचे होते कैसे जीते होगे वो मजदूर जिन

एक बार तो सोचे होते
 कैसे जीते होगे वो मजदूर 
 जिन्हे पता नही होता कि कल उन्हे रोटी मिलेगी कि नही ।
उस गरीब के घर चूल्हा जलेगी कि नही ।
उन बेटियो को इज्जत वाली छत मिलेगी कि नही ।

एक बार  तो सोचे होते  
कैसे जीती होगी वो ऐसिड अटेक वाली लड़किया ।
वो कैद ..कोठे पर बन्द खिडकी से झाकती लडकिया ।
कैसे जीती होगी रेप के बाद अपमानित होकर वो समाज मे
कैसे जी लेते होगे वो गरीब मूठठी भर आनाज मे।

एक बार तो सोचे होते ।
कैसे जीते होगे वो जिनके सर पर नही होते माँ बाप के साये।
वो भूखे ,प्यासे, अनाथ बच्चे ,जिन्हे हो जाते है बहुत दिन खाना खाए।

एक बार तो  सोचे होते 
कैसे जीते होगे वो  ssc ,tet और तमाम vacancy मे हो रहे लुट से  वो छात्र 
वो सालों के बेजोड़ मेहनत के बाद भी असफलताओ के चोट से दिन रात ।
बेटा एक दिन कमायेगा आँखो मे हर घड़ी लिए रहते है वो आस ।
गरीबी और किल्लत भरी जिंदगी मे ही मर जाते है वो मा बाप ।

एक बार तो सोचे होते 
 कही चप के, कही दब के, कही भूख से, कही धुप से,
 हजारो गरीब  है मरते ।
वो हर रोज, हर सैकेण्ड, हर मिनट  जिंदगी से लड़ते है , 
लेकिन सूसाइड  नही है करते ।
 
वजह कोई भी  हो  सब जीते है यार ।
मिलती नही जिंदगी अच्छी सभी को हर बार ।
हम लोग तो कोरोना को हराने वाले थे  
इस बीच कब वो गया जिंदगी से हार ।
एक बार तो सोचे होते, ये तुमने  क्या "कर" दिया यार एक बार तो सोचे होते #
एक बार तो सोचे होते
 कैसे जीते होगे वो मजदूर 
 जिन्हे पता नही होता कि कल उन्हे रोटी मिलेगी कि नही ।
उस गरीब के घर चूल्हा जलेगी कि नही ।
उन बेटियो को इज्जत वाली छत मिलेगी कि नही ।

एक बार  तो सोचे होते  
कैसे जीती होगी वो ऐसिड अटेक वाली लड़किया ।
वो कैद ..कोठे पर बन्द खिडकी से झाकती लडकिया ।
कैसे जीती होगी रेप के बाद अपमानित होकर वो समाज मे
कैसे जी लेते होगे वो गरीब मूठठी भर आनाज मे।

एक बार तो सोचे होते ।
कैसे जीते होगे वो जिनके सर पर नही होते माँ बाप के साये।
वो भूखे ,प्यासे, अनाथ बच्चे ,जिन्हे हो जाते है बहुत दिन खाना खाए।

एक बार तो  सोचे होते 
कैसे जीते होगे वो  ssc ,tet और तमाम vacancy मे हो रहे लुट से  वो छात्र 
वो सालों के बेजोड़ मेहनत के बाद भी असफलताओ के चोट से दिन रात ।
बेटा एक दिन कमायेगा आँखो मे हर घड़ी लिए रहते है वो आस ।
गरीबी और किल्लत भरी जिंदगी मे ही मर जाते है वो मा बाप ।

एक बार तो सोचे होते 
 कही चप के, कही दब के, कही भूख से, कही धुप से,
 हजारो गरीब  है मरते ।
वो हर रोज, हर सैकेण्ड, हर मिनट  जिंदगी से लड़ते है , 
लेकिन सूसाइड  नही है करते ।
 
वजह कोई भी  हो  सब जीते है यार ।
मिलती नही जिंदगी अच्छी सभी को हर बार ।
हम लोग तो कोरोना को हराने वाले थे  
इस बीच कब वो गया जिंदगी से हार ।
एक बार तो सोचे होते, ये तुमने  क्या "कर" दिया यार एक बार तो सोचे होते #