हाँ अगर होती तो क्यों छोड़ के जाती मुझे नहीं तुमने कहाँ छोड़ा था मुझे ! वो तो मज़बूरी थी तुम्हारी हाँ मज़बूरी ही रही होंगी वरना तुम ऐसे ही तो छोड़ नहीं सकती थी मुझे क्योंकि कोई इतना भी कठोर दिल नहीं हो सकता कि किसी को बीच भंवर में छोड़ जाये शायद मेरी जिंदगी की किताब में तेरे नाम का चेप्टर था ही नहीं वेबजह मैं दोस्तों से कहता था कि देख लेना हम दोनों एक अलग ही दुनिया बसायेंगे पर मुझे क्या पता कि तुम इस तरह लापता हो जाओगी हाँ याद आएगी मुझे तुम्हारी पर मैं खुद समझा लूंगा कि शायद तुम थी ही नहीं मेरी ज़िन्दगी में........ ✍️✍️✍️पवन कुमार अल्पज्ञ