हित देश प्रबंधन हो रहा है, या अशुरों का आलिंगन हो रहा है। पक्षधर टूक बाज नहीं आते, विपक्ष बिलख कर रो रहा है। काम क्रीड़ा गरिमा खोती अब तो, संजाल तंत्र छलमय हो रहा है। विधियों का ज्ञान सभी रखते, तप का मान ओझल हो रहा है। कौऐ मुंडेर नहीं छूते, सरिता जल - मल हो रहा है। सड़कों पर बिछी हुई लाशें, क्यों नहीं कोई अब रो रहा है। ©ekrajhu कविता हिन्दी में एक प्रयास 🙏 आप सब की प्रतिक्रियाएं प्रेरित करतीं हैं 🙏 #देश Uma Vaishnav पोस्ट के अनुसार लोगों को टैग करता हूं 🙏😊 ये सब अच्छी हिन्दी कविताएं लिखते या रुचि रखते हैं.. आप की नजरों में कोई है तो टैग कीजिए 🙏❤️