रूठे रूठे लफ़्ज़ मेरे तकरार करते मेरे से खफ़ा हैं वो मुझसे बेवफ़ा समझ बैठे मुझे लफ़्ज़ और अल्फाज़ दोनों ही खफ़ा हो गए मुझसे लगा मेरा खुदा ही रूठ गया आज़ मुझसे खफ़ा और रूठे थे लफ़्ज़ मुझसे इज़हार–ए–इश्क़ करना ना आया उनसे रूठ कर वो चले गए मुझसे “पंछी” मन आज़ भी प्यार के लिए तरसे ढूंँढ़ रही हूंँ लफ़्ज़ उनको मनाने वास्ते हर दर्द ग़म ज़िन्दगी का सहा हमने हँसते ना मिले लफ़्ज़ और अल्फाज़ मुझसे पर आज़ कर दूँगी इज़हार अपनी ख़ामोश आँखों से ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1003 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।