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मैं जो लिखताहूं, वो महज़ बातें नहीं है, एहसास हैं

मैं जो लिखताहूं,
वो महज़ बातें नहीं है,
एहसास हैं मेरे,
तुम्हारे लिए और बस तुम्हारे लिए,

मुझे मिलन और विरह नही लिखना,
मुझे लिखना है बस तुम्हे,
तुम्हारे ख्याल को,
तुमसे जो मुझे हुई है उस बेपनाह चाहत को,

दुनिया देखती होगी,
खूबियां और कमियां तुम्हारी,
मैं बस तुम्हे देखता हूं,
तुम्हें नहीं,तुम्हारा अपनत्व तुम्हारी अच्छाई को

मेरे हृदय का खालीपन,
केवल तुम्हारे प्रेम से भरता है,
तुम्हे पाना या खोना नही सोचता मैं,
बस इतना पता है कि रक्त की तरह बहते हो मुझमें,

हर परिभाषा से अलग रखा है मैने तुम्हे,
और ना ही किसी से कोई समानता की कभी,
मैंने तुम्हे सबसे अलग संजो रखा है,
मेरे मन में हर भाव में बस तुम ही तुम...!
              
सुनो...  तुम ना भी समझो,
मैने महसूस किया है 
                            वही काफी है..!

©Drx Kumar pankaj
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