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ना जाने क्या चाहती है यह ज़िन्दगी, हर बार एक उम्म

ना जाने क्या चाहती है यह ज़िन्दगी,
हर  बार एक उम्मीद की किरण आने से पहले  ही ढकेल देती है अंधेरे में,
   अब तो अल्फ़ाज़ ही नहीं बचे खुद को सहारा देने को...
ना जाने क्या चाहती है यह ज़िन्दगी,
हर बार खुद को संभाल कर खड़े होते देर नहीं होती 
और फिर खुद को नई उलझन में पाती हूं।
अब तो अल्फ़ाज़ ही नहीं बचे खुद को समझाने के लिए
ना जाने क्या चाहती है यह ज़िन्दगी,
हर बार कोशिश कर खुद को  मजबूत  कर आगे कदम बड़ाती हूं
तभी जोरों का धक्का दे खाई में ढकेल देती है..
अब तो बेबस और लाचारी का घना कोहरा ही नजर आता है।
अब तो अल्फ़ाज़ ही नहीं बचे खुद को दिलासा देने को
अब तो अल्फ़ाज़ ही नहीं बचे खुद को सहारा देने को
बस कर ज़िंदगी यह सितम का कहर बरपाना...
जिस दिन यह रूह तेरा साथ छोड़ चले जाएगी
 तब तेरी  ही आंखों  से झलकेगा तेरा पछतावा... 
उस दिन तू भी मेरी तरह लाचार और बेबस होगी ...
शायद तब तुझे महसूस होगा  मेरा दर्द.....
क्या होता है बार बार खुद को टूटते और भिखरता हुआ सा पाना... #रूह का ज़िन्दगी से रुकसत होना
ना जाने क्या चाहती है यह ज़िन्दगी,
हर  बार एक उम्मीद की किरण आने से पहले  ही ढकेल देती है अंधेरे में,
   अब तो अल्फ़ाज़ ही नहीं बचे खुद को सहारा देने को...
ना जाने क्या चाहती है यह ज़िन्दगी,
हर बार खुद को संभाल कर खड़े होते देर नहीं होती 
और फिर खुद को नई उलझन में पाती हूं।
अब तो अल्फ़ाज़ ही नहीं बचे खुद को समझाने के लिए
ना जाने क्या चाहती है यह ज़िन्दगी,
हर बार कोशिश कर खुद को  मजबूत  कर आगे कदम बड़ाती हूं
तभी जोरों का धक्का दे खाई में ढकेल देती है..
अब तो बेबस और लाचारी का घना कोहरा ही नजर आता है।
अब तो अल्फ़ाज़ ही नहीं बचे खुद को दिलासा देने को
अब तो अल्फ़ाज़ ही नहीं बचे खुद को सहारा देने को
बस कर ज़िंदगी यह सितम का कहर बरपाना...
जिस दिन यह रूह तेरा साथ छोड़ चले जाएगी
 तब तेरी  ही आंखों  से झलकेगा तेरा पछतावा... 
उस दिन तू भी मेरी तरह लाचार और बेबस होगी ...
शायद तब तुझे महसूस होगा  मेरा दर्द.....
क्या होता है बार बार खुद को टूटते और भिखरता हुआ सा पाना... #रूह का ज़िन्दगी से रुकसत होना
ratigarg5605

Rati Garg

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