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हमने अपने कर्म धर्म गांधारी बन कर त्यागे हैं, मो

हमने अपने कर्म धर्म 
गांधारी बन कर त्यागे हैं, 
मोह लिप्त विवशता वश 
कर्तव्य विमुख हो भागे हैं। 
दुर्योधन सा लोभ लालसा 
शकुनी की मति धारे हैं 
दुशासन सी कुटिल नियत 
अपना विवेक हम मारे हैं। 
हे माधव पथ प्रशस्त करो अब 
आवश्कता है आन पड़ी 
सबुद्धि, सन्मार्ग दिखाओ 
हम अज्ञानी हारे हैं।



-Shagun S Mishra

Thelostrymer

©Shagun Mishra
  hey madahv

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